Monday, March 31, 2008

क्या है, और क्या नहीं ... २००८

ऐसा नहीं की मेरे पास वक़्त नहीं
पर गुजारें किसके साथ - कोई हमसफ़र नहीं

कागज़ भी है, कलम भी, और स्याही भी
पर क्या लिखूँ - लब पे कोई लब्ज़ नहीं

मै खूब पडी है, सागर भी हैं तैयार
पर पीने पिलाने के लिए कोई साकी नहीं

उम्मीद अब भी ज़िंदा है इस तनहा दिल में
देखते हैं - कल फ़िर सुबह होती है या नहीं

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