Konkani rendition of a famous ghazal sung by Hariharan (provided for reference at the end)
Original ghazal ...
शब्दांवारि
तुं माक्का पुस्तकांतु
मॅळ्त राब
जगाचॅं भय्य दिस्ल्यारि
सॉप्नांतु मॅळ्त राब
पर्मळाचॉ
ऋणानुबंधु आस्ताचि फुल्लांसांगाती
सुवासु
जाव्नु तूं माक्का
गुलाबांतु मॅळ्त राब
पॅल्याक स्पर्शूनु हांव तुक्का
अनुभवूं शक्तां
धुंदी जाव्नु तूं माक्का
मदिरेंतु मॅळ्त राब
हांवई
मनुष्यूचि भरकटचॅं भय्य आस्स
तॅमितीं
तूं माक्का पडद्यांतु
मॅळ्त राब
समुद्रावेळेरि
येव्नु हांव तुक्का
अनुभव्तां
पाळं जाव्नु तूं माक्का
किना-याचरि मॅळ्त
राब
Original ghazal ...
लफ़्ज़ों की तरह
मुझसे कितबों में
मिला कर
दुनियाँका तुझे डर
है तो ख़्वाबों
में मिला कर
खुशबू
का ताल्लुक है
फूलों से ज़रूरी
तू
मुझसे महक बन
कर ग़ुलाबों में
मिला कर
साग़र को मैं
छू कर तुझे
महसूस करूंगा
मस्तीकी तरह तू
मुझसे शराबों में
मिला कर
मैं
भी हूं बशर
मुझको बहकनेका भी
डर है
इस
बात से तू
मुझ से हिजाबों
में मिला कर
साहिलको छू कर
तुझे महसूस करुंगा
लहर बनकर तू
मुझसे किनारों पे
मिला कर
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