Tuesday, November 4, 2008

शब्दांवाचुन कळले सारे ... सीताराम चंदावरकर ... २००८

(Hindi translation of Mangesh Padgaonkar's Marathi original)

शब्दों के उस पार है जो, बिन शब्दों के मैं समझ गया
पहली नजर में तुम्हें देखा, अघटितसा कुछ हो गया

अर्थ नया गीतों ने पाया
छंद नया, ताल नया पाया
उस दिन क्यों बोलो सूर मेरा कहाँ खो गया

हाँ कर दी तुम ने, नहीं नहीं से
व्यक्त हुईं तुम स्वरों स्वरों में
बिन कारण व्याकुल हो कर हृदय मेरा धड़क गया

याद है? उस पूनम की रात में
लक्ष चाँद घुल गए गात गात में
आलिंगन में तुम्हारे रहस्य विश्व का मुझ पर खुल गया

No comments: